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Sunday, 22 January 2023

राजभाषा समितियां

राजभाषा समितियां


संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए, हिंदी भाषा के उत्तरोत्तर प्रयोग पर ध्यान रखने के लिए तथा औद्योगिक, संस्कृतिक एवं वैज्ञानिक उन्नति के सम्पर्क को ध्यान में रखते हुए, राजभाषा के प्रगामी प्रयोग का जायजा लेने के लिए, इन समितियों का गठन किया गया है । ये समितियाँ भारत सरकार की राजभाषा नीति तथा संसद व्दारा पारित राजभाषा अधिनियम, 1963 एवं राजभाषा नियम, 1976 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करेगी। 

 राजभाषा समितियां निम्नलिखित है :-

1. केन्द्रीय हिंदी समिति :- 
  • यह राजभाषा की सर्वोच्च समिति है जो राजभाषा के विषय में नीति तय करती है।
  • इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते है। 
  • सदस्य गृहमंत्री राज्यमंत्री, तथा 6 केन्द्रीय मंत्रालयों के मंत्री, 6 राज्यों के मंत्री, संसदीय राजभाषा समिति के उपध्यक्ष, संयोजक तथा हिंदी के विव्दान, समाजसेवी तथा पत्रकार। 
  • इस समिति का पुनर्गठन दिनांक 13.11.2009 को किया गया। 
  • समिति की पिछली (30वी) बैठक दिनांक 28.07.2009 को हुई थी

उद्देश्य - 

1. हिंदी राजभाषा की प्रगति तथा प्रयोग पर निगरानी रखना।

2. सरकारी कामकाज में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोगार्थ तथा उपरोक्त उद्देश्यों हेतु विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों / विभागों में समन्वयार्थ गठित शीर्षस्थ समिति। 


2. संसदीय राजभाषा समिति :- 
  • इस समिति का गठन राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा - 4 के अधीन 1976 में किया गया ।
  • इस समिति के अध्यक्ष गृहमंत्री होते है ।
  • इस समिति के 30 सदस्य होते है जिसमे 20 लोक सभा से, तथा 10 राज्य सभा से। 
  • यह समिति सिफारिशो सहित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देती है, जिसे राष्ट्रपति व्दारा संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जायेगा और राज्य सरकारों को भेजा जायेगा।  संसद तथा राज्य सरकारों व्दारा इस पर अभिव्यक्त मत पर विचार करने के बाद उसके सम्पूर्ण अथवा किसी भाग के लिए राष्ट्रपति निर्देश जारी करेगे। 
उद्देश्य :-  

संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी के प्रयोग में की गई प्रगति का पुनर्विलोकन करके उस पर सिफारिश करते हुए राष्ट्रपति को प्रतिवेदन प्रस्तुत करना ।

उप समितियां :- 

  1. कार्य संचालन के लिए समिति को तीन उप - समितियों में विभाजित किया गया है जिसके लिए संयोजक, अध्यक्ष व्दारा नामित किये जाते है ।
  2. इसके अतिरिक्त एक आलेख एवं साक्ष्य उपसमिति भी गठित है, जो संसदीय राजभाषा समिति की नीति निर्धारक उपसमिति है। 
  3. संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष इस समिति के पदेन अध्यक्ष होते है तथा उपरोक्त तीनो उपसमितियों के संयोजक इस समिति के सदस्य होते है ।
  4. इसके अतिरिक्त समिति के अध्यक्ष तीनो उपसमितियों में से एक - एक सदस्य को आलेख एवं साक्ष्य उपसमितियों में सदस्य नामित करते है । 
  5. इन उपसमितियों व्दारा निरीक्षणों व संवाद के आधार पर आलेख एवं साक्ष्य उपसमिति व्दारा राष्ट्रपति को प्रस्तुत किये जाने वाले प्रतिवेदन का मसौदा तैयार किया जाता है।  प्रतिवेदन में समिति व्दारा विभिन्न संस्तुतियां की जाती है।  
  6. समिति व्दारा राष्ट्रपति को प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन की अधिप्रमाणित प्रतियां संसद के पटल पर रखी जाती है । इन संस्तुतियो पर राजभाषा विभाग व्दारा विभिन्न हितधारको से मंत्रणा व परामर्श के आधार पर तथा अन्य प्रासंगिक तथ्यों के आलोक में राष्ट्रपति के आदेश प्राप्त किये जाते है।  
  7. समिति व्दारा अब तक प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन के 8 खंडो में की गई सिफ़ारिशो पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किये जा चुके है । 
  8. अंतिम आदेश 2 जुलाई, 2008 में जारी हुए थे तथा नौवा खण्ड विकसित चरण पर है। 

3. हिंदी सलाहकार समिति :- 
  • प्रत्येक मंत्रालय में ये समितियां गठित है। 
  • इस समिति के अध्यक्ष संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री होते है। 
  • इसमें 15 गैर सरकारी सदस्य तथा मंत्रालय / विभाग के अधिकारी, सचिव राजभाषा विभाग, संयुक्त सचिव राजभाषा विभाग, तथा विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों में गठित हिंदी सलाहकार समितियों की बैठको में भाग लेने के लिए स्थायी रूप से आमंत्रित अधिकारी इसके सदस्य होते है। 
  • वर्ष में कम से कम दो बैठको एवं यथासम्भव अधिक बैठको के आयोजनों का लक्ष्य। 
  • 54 मंत्रालयों / विभागों में गठित तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में गठन विचाराधीन। 
  • वैधता की अवधि तीन वर्ष तथा समय - समय पर पुनर्गठन किया जाता है
  • राजभाषा विभाग में समन्वयक की भूमिका निभाता है। 

उद्देश्य :- केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की प्रगति एवं संबंधित समस्याओ की समीक्षा करना व परामर्श देना

4. केन्द्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति :- 

  • इस समिति के अध्यक्ष सचिव राजभाषा विभाग होते है। 
  • इसके सदस्य विभिन्न मंत्रालयों /  विभागों में राजभाषा नीति का कार्यान्वयन देख रहे संयुक्त सचिव स्तर या उच्च स्तर के अधिकारी होते है। 
  • इस समिति की अब तक 35 बैठके हो चुकी है । 
  • पिछली बैठक 29 व 30 दिसम्बर 2010 को आयोजित हुई जिसमे 69 मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ।
उद्देश्य :- 
  1. मंत्रालय / विभागों में राजभाषा नीति (संवैधानिक व कानूनी प्रावधान, राष्ट्रपति के आदेश, वार्षिक कार्यक्रम में दिये गये लक्ष्यों, राजभाषा विभाग व्दारा जारी किये गये अनुदेशों आदि) के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के उपाय सुझाना 
  2. हिंदी के प्रभावी प्रयोगार्थ सफल पहलात्मक कदमो व अभिनव प्रयोगों की जानकारी का आदान - प्रदान करना 
5.विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति :- 

  • इस समिति के अध्यक्ष संबन्धित विभाग में राजभाषा कार्यान्वयन देख रहे संयुक्त सचिव या उच्च स्तर के अधिकारी होते है 
  • इसके सदस्य विभाग एवं संबध्द तथा अधीनस्थ कार्यालयों के अधिकारी एवं राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि होते है।
  • सभी मंत्रालयों/विभागों तथा कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन समितियां गठित है 

उद्देश्य :-
 तिमाही प्रगति रिपोर्टो की समीक्षा करना तथा वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपाय सुझाना। 

6. नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति :-
  • इसका अध्यक्ष नगर में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों में नियुक्त अधिकारियो में से वरिष्ठतम अधिकारी होता है 
  • इसके सदस्य नगर में स्थित केंद्र सरकार के सदस्य कार्यालयों के प्रमुख होते है 
  • प्रत्येक नगर में केन्द्रीय कार्यालयों, केन्द्रीय उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंको को मिलाकर इस समिति का गठन किया जाता है जहाँ ऐसे दस या अधिक कार्यालय हिया वहां ये समितियां गठित की जाती है। 
  • इस समिति की बैठक वर्ष में दो बार होती है 
  • कुछ नगरो में उपक्रमों, बैंको और अन्य केंद्रीय कार्यालयों के लिए अलग - अलग समितियां गठित है जिसमे अब तक गठित कुल 274 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के लिए 13 तथा बैंको के लिए गठित 26 समितियां शामिल है 
  • प्रधान कार्यालय के अतिरिक्त, अधीनस्थ कार्यालयों/स्टेशनो  पर, जहाँ कर्मचारियों की संख्या 25 या उससे अधिक हो, वहां भी ऐसी समितियां गठित की जाती है जहां एक कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या 25 नही है, वहां स्थित अन्य कर्यालयो को मिलाकर ये समितियां गठित की जाती है इसकी बैठक हर तीसरे महीने में आयोजित की जाती है ।

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