संसदीय राजभाषा समिति
राजभाषा
अधिनियम, 1963 के अनुसार संघ के राजकीय प्रयोजनों के
लिए हिंदी के प्रयोग में हुई प्रगति का पुनर्विलोकन करने के लिए एक स्थायी संसदीय
राजभाषा समिति गठित की गई है। इस समिति में संसद
के 30 सदस्य होने का प्रावधान है 20 लोकसभा से
और 10 राज्यसभा से। राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4(3) के अनुसार, समिति का कर्तव्य है
कि वह संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी के प्रयोग में की गई प्रगति की
समीक्षा करे और उस पर सिफारिशें करते हुए राष्ट्रपति को प्रतिवेदन प्रस्तुत करते
हैं।
संसदीय
राजभाषा समिति का गठन राजभाषा अधिनियम, 1963 के अधीन
वर्ष 1976 में किया गया था। यह उच्चाधिकार प्राप्त संसदीय समिति है। इसमें 30 संसद
सदस्य हैं, 20 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से। माननीय
गृह मंत्री जी इस समिति के अध्यक्ष हैं। राजभाषा कार्य की प्रगति के निरीक्षण
कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए इस समिति को तीन उप-समितियों में विभाजित
किया गया है। समिति की ये तीनों उप-समितियां अब तक 14,600 से अधिक कार्यालयों का निरीक्षण कर चुकी हैं
और लगभग 882 गणमान्य व्यक्तियों का मौखिक साक्ष्य भी ले चुकी हैं, जिनमें उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल शामिल हैं।
इसी कार्य के आधार पर समिति अब तक अपने प्रतिवेदन के दस खण्ड राष्ट्रपति जी को
प्रस्तुत कर चुकी है। नौ खण्डों में की गई सिफारिशों पर राष्ट्रपति जी के आदेश हो
गये हैं। इस समिति का मुख्य उद्देश्य सरकार के कामकाज में राजभाषा हिन्दी के
प्रयोग की प्रगति की समीक्षा करना है।
A Parliament Committee on Official Language constituted in 1976 periodically reviews the progress in the use of Hindi and submits a report to the President. The governmental body which makes policy decisions and established guidelines for the promotion of Hindi is the Kendriya Hindi Samiti (est. 1967)
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